भारतीय पर्यटक तुर्की और अज़रबैजान का बहिष्कार क्यों कर रहे हैं?

पिछले दो दिन से भारतीय पर्यटकों द्वारा तुर्की और अज़रबैजान की यात्रा रद्द करने की खबरें सुर्खियों में रही हैं। यह बहिष्कार पाहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में शुरू हुआ। तुर्की और अज़रबैजान द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद भारतीयों में आक्रोश फैल गया, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार की मांग उठी।

पाहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर

22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में एक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में कई नागरिक और सुरक्षाकर्मी प्रभावित हुए। जवाब में, भारत ने 7 मई, 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। यह ऑपरेशन भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का हिस्सा था। इस दौरान, तुर्की और अज़रबैजान ने भारत की कार्रवाई की निंदा की और पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। तुर्की ने भारत के हमलों को “अनुचित” बताया, जबकि अज़रबैजान ने इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा करार दिया। इन बयानों ने भारतीय जनता में गुस्सा भड़काया, क्योंकि दोनों देशों को भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला माना गया।  इसके अलावा पाकिस्तान ने तुर्की के बने हुए ड्रोन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया।

सामाजिक मीडिया और बहिष्कार की शुरुआत

ऑपरेशन सिंदूर के बाद, सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। भारतीयों ने तुर्की और अज़रबैजान को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए पर्यटन बहिष्कार का आह्वान किया। कई यूजर्स ने तर्क दिया कि ये देश भारतीय पर्यटकों से लाखों डॉलर कमाते हैं, फिर भी वे पाकिस्तान जैसे देश का समर्थन करते हैं, जो भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को प्रायोजित करता है। उदाहरण के लिए, एक यूजर ने लिखा कि तुर्की ने ड्रोन जैसे हथियार पाकिस्तान को आपूर्ति किए, जो भारत के खिलाफ इस्तेमाल हो सकते हैं। इस भावना ने जल्द ही एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया, जिसमें हजारों भारतीयों ने अपनी यात्रा योजनाएं रद्द कर दीं।

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